एक भूखी बच्ची के शब्द

01/01/2011 12:07

एक बेनाम लड़की, ठंड से कंपकपाती, भूखी और थकी हुई ताज्जुब कर रही हूं कि नया साल मेरे लिए क्या लाएगा? ज्यादा भूख? अधिक थकावट? घोर निराशा?


मैं अपनी मां को ट्रैफिक लाइट पर देख सकती हूं। वह चमचमाते कारों के शीशे थपथपा रही हैं, ताकि उन्हें कुछ सिक्के मिल सके। और अगर वह कार मालिक को ज्यादा परेशान करने में सफल रहीं, तो शायद दस रुपये का नोट उनके चेहरे पर गुस्से से फेंका जा सकता है, ताकि वह वहां से हटे और कार मालिक मोबाइल फोन पर अपनी बातचीत जारी रख सके। मेरी छोटी बहन और भाई पुरानी लौंड्री के नजदीक पटरी पर सोए हैं। मेरा पालतू कुत्ता मोती भी उनसे चिपका हुआ उस कार्डबोर्ड के टुकड़े पर सोया है, जिसे हमने बगल के सामान पैक करने वाली कंपनी से चुराया है।

हम नहीं जानते कि हमारे पिता कौन हैं। हमने उन्हें कभी नहीं देखा। मेरी मां कहती हैं कि जब वह 25 वर्ष की थीं, तब एक अमीर घर में नौकरानी का काम करती थीं। लेकिन जब से मेरा जन्म हुआ, हम फुटपाथ पर ही रहते हैं और उन्हें भीख मांगते देखते हैं। उन्होंने हमें भी भीख मांगना सिखाया है। जब मेरा भाई बीमार पड़ा था, तो मैंने उसे एक चिथड़े से लपेटकर अपनी कमर में बांध लिया था और एक कार से दूसरी कार तक भीख मांगती रही थी। कुछ लोगों को मुझ पर रहम भी आया और उन्होंने पांच सौ रुपये दिए। मेरी मां वह नोट देखकर बहुत खुश हुई और कहा कि भाई के ठीक हो जाने के बाद भी मैं उसे लेकर घूमती रहूं। उसी दौरान मेरी बहन तब दुर्घटना का शिकार हो गई, जब सड़क पार करने के दौरान बत्ती हरी हो गई और गाड़ियां तेज आवाज करती हुई तेजी से निकलने लगीं। उसमें ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी, असल में मेरी बहन इतनी छोटी थी कि अंधेरे में उसे कोई देख नहीं सका। लेकिन उस हादसे से हमें काफी रकम मिली, दो हजार से भी ज्यादा। मेरी मां उस दिन बहुत खुश थीं। बाद में जब मेरी बहन ठीक हुई और उसके बांह का घाव भर गया, तो मेरी मां ने उससे कहा कि वह अपनी बांह का प्लास्टर न उतारे, ताकि लोग उस पर रहम करते हुए और पैसे दें।

चूंकि अब लोग मुझे घूरते और मुझ पर गंदी फब्तियां कसते हैं, इसलिए मेरी मां भीख मांगने के समय मुझे पूरा शरीर ढक लेने को कहती हैं। उनकी हिदायत है कि मैं किसी पुरुष से बात न करूं, नहीं तो मुश्किल में पड़ सकती हूं। लौंड्री से कपड़े लेने आने आए ग्राहकों के साथ बात करते देख वह मुझे मारती भी है। ‘यह खतरनाक हो सकता है’, वह कहती हैं, पर मैं कुछ समझ नहीं पाती। उन लोगों का व्यवहार दोस्ताना होता है और वे मुझे हंसाते भी हैं। उनमें से कुछ मुझे चॉकलेट भी देते हैं और अपनी कार में बैठने को कहते हैं। लेकिन पटरी पर मैं अपनी बहन और भाई को अकेले नहीं छोड़ सकती, इसलिए उन्हें मना कर देती हूं। एक दिन जब मां मुझे नहीं देख रही हों, मैं उनके साथ भाग जाना चाहती हूं और अपना जीवन संवारना चाहती हूं। एक ‘अंकल’ ने मुझसे वायदा किया है कि मुझे किसी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है। वह मुझे कपड़े, खाना, पैसे... सब कुछ देंगे। वह एक बड़े मकान में रहते हैं और ऐसा वायदा किया है कि वह मुझे वहां रखेंगे, पर वह चाहते हैं कि मैं इस बारे में अपनी मां को कुछ भी न बताऊं। यह हमारा राज है, ऐसा उन्होंने कह रखा है।

संभव है, जल्दी ही मेरी जिंदगी बदल जाए। अब मैं नहीं चिल्लाती और मैंने उम्मीद भी नहीं छोड़ी है। मैं मां की तरह अपना पूरा जीवन सड़कों पर भीख मांगते हुए नहीं गुजारना चाहती। वह अपने जीवन को एक अभिशाप मानती हैं, क्योंकि वह महिला के रूप में जन्मीं। वह यह भी कहती हैं कि अगर वह स्कूल जातीं, तो आज फुटपाथों पर नहीं रहतीं। मैं स्कूल जाना चाहती हूं और किसी दिन कुछ बनना चाहती हूं। उस ‘अंकल’ ने कहा है कि अगर मैं अपना घर छोड़ती हूं और उस बड़े कार में उनके साथ चली आती हूं, तो वह सब व्यवस्था कर देंगे। 

पिछले हफ्ते उन्होंने मुझे ब्रांडेड कपड़े दिए और कहा कि यह नए साल का तोहफा है। मैंने उसे अपनी मां से छिपा लिया है। उन्होंने मुझे लिपस्टिकऔर पाउडर भी दिए हैं और कह रहे थे कि इससे मैं खूबसूरत दिखूंगी। मैं उसे लगाने की हिम्मत नहीं कर पाती, क्योंकि मेरी मां मुझे मार डालेंगी और कई सवाल पूछेंगी।

मेरी मां ने मुझे कुछ टोपियां और सीटी दी हैं, ताकि मैं उसे अगले ट्रैफिक लाइट पर बेच सकूं, जहां युवा मोटरसाइकिल सवार हैं। जब भी कोई कार रुकती है, तो वह मुझे ताली बजाना, हंसना और ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कहना भी सिखाती हैं। अब मुझे ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कहने का अभ्यास करने दीजिए। मुझे विश्वास है कि दुनिया में कहीं भी, कोई भी मेरी इस प्रार्थना को सुनेगा और मेरे लिए ऐसी ही कामना करेगा। ऐसा इसलिए

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गुर्जर आंदोलन: चार बिन्दुओं पर नहीं बनी सहमति

03/01/2011 19:58
 जयपुर/पीलूपुरा। गुर्जर आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों व राज्य सरकार के बीच आज एक बार फिर वार्ता का दौर चला। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच दोपहर बाद शुरू हुई बैठक बेनतीजा खत्म हो गई है। एक ओर सरकार इसे सकारात्मक बता रही है वहीं दूसरी ओर गुर्जर प्रतिनिधियों ने वार्ता को पूरी तरह से विफल करार दिया। सूत्रों की मानें तो दोनों पक्षों के बीच अभी भी चार बिन्दुओं पर असहमति कायम है। प्रतिनिधिमंडल पांच फीसदी आरक्षण की मांग पर अडिग है लेकिन सरकार का कहना है कि सर्वे के बाद ही इस मुद्दे पर...

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